Consultation in Corona Period-128
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"पहले आंखों के चारों ओर काला घेरा बनने लगा। फिर धीरे-धीरे यह घेरा बढ़ता गया।
आंखों की रोशनी कम होने लगी। आंख में हमेशा खुजली होती रहती थी।
फिर नाक का अगला हिस्सा काला हो गया। धीरे-धीरे पूरी नाक काली हो गई। कालापन बढ़ता ही गया।
इसके बाद ऊपर के होंठ काले हो गए। फिर कालापन दोनों होंठों में हो गया।
इसके बाद दोनों कनपटी की बारी थी। उनका रंग भी धीरे-धीरे गहरा काला होता गया।
जब माथे का रंग काला होना शुरू हुआ तब मैंने इसकी चिकित्सा करवाने की सोची। चिकित्सक ने बताया कि यह एक तरह की एलर्जी है और उन्होंने कई सारी दवाएं दी।
इससे त्वचा में होने वाली खुजली तो पूरी तरह से ठीक हो गई पर उसका कालापन बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ।
इस बीच मैं अपने दांतों की समस्या के लिए जब दंत चिकित्सक के पास गई तो उन्होंने कहा कि आपकी जीभ तो पूरी तरह से काली हो गई है।
इस ओर मेरा ध्यान ही नहीं गया था। अब मैं बहुत ज्यादा घबरा गई थी। मैं मुंबई के एक प्रसिद्ध चिकित्सक से मिलने गई और उनको अपनी समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि रक्त में किसी तरह का दोष होने के कारण यह समस्या हो रही है।
उन्होंने रक्त की शुद्धि के लिए बहुत सारी दवाएं दी और कहा कि कालापन पूरी तरह जाने में कई वर्षों का समय लगेगा। उन्हें बिना रुके इन दवाओं का सेवन करना होगा।
मैंने लंबे समय तक उनकी दवाओं का सेवन किया पर कालापन धीरे-धीरे फैलता गया और मेरा पूरा चेहरा कोयले के समान काला हो गया।
सभी तरह की चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने के बाद मैंने आपसे मिलने का निश्चय किया और अपने पति के साथ आपसे मिलने आई हूँ।
मैंने सुना है कि आप पैरों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर किसी तरह का परीक्षण करते हैं और उससे बताते हैं कि विशेष प्रकार की समस्याएं क्यों हो रही है।
मैंने एक कागज में लिख कर अपने द्वारा प्रयोग की जा रही खाद्य सामग्रियों की सूची आपके लिए तैयार की है।
मुझे किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं है और इस कालेपन की चिकित्सा के अलावा मेरी किसी भी प्रकार की चिकित्सा नहीं चल रही है।
इसी कालेपन की समस्या के समाधान के लिए मैं आपके पास आई हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।"
उत्तर प्रदेश से एक महिला ने मुझसे परामर्श के लिए समय मांगा और समय मिल जाने पर वे अपने पति सहित मुझसे मिलने रायपुर आ गई।
उनकी उम्र 32 वर्ष थी। उनको देखते ही लगा कि उनकी समस्या बहुत अधिक गंभीर है।
मैंने जड़ी बूटियों का घोल बनाया और फिर उस घोल को लेप के रूप में न केवल पैरों के तलवों में बल्कि हाथ की हथेलियों में भी लगाया तो 10 से 12 सेकेंड के अंदर उन महिला ने बताया कि उनके हाथों में तेज जलन हो रही है।
मैंने तुरंत ही उनसे कहा कि वे अपना हाथ धो लें और जड़ी बूटियों के लेप को हटा ले।
फिर उन्होंने कहा कि हाथ धो लेने के बावजूद उनके कंधों में बहुत अधिक जलन हो रही है।
मैंने उनसे कहा कि आप दोनों पैर में लगे लेप को भी पूरी तरह से धो लें।
परीक्षण पूरा हो जाने के बाद वे बड़ी आशा भरी नजर से मुझे देखने लगी।
मैंने उनसे कहा कि आप किसी बड़ी बीमारी के बारे में जानकारी मुझसे छुपा रही हैं। इस परीक्षण से तो यही लगता है कि आपको शरीर के निचले भाग का कैंसर है और यह नया कैंसर नहीं है बल्कि पुराना कैंसर है जो कि शरीर के दूसरे हिस्सों में तेजी से फैलता जा रहा है।
उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ और अनजान बनते हुए हुए उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है। यदि आप कहेंगे तो हम परीक्षण करवा सकते हैं ताकि इस बात की पुष्टि हो सके।
मैंने कहा कि बिल्कुल आप जाकर इसकी जांच कराएं पर मेरा विश्वास तो यही कहता है कि आपको इस कैंसर के बारे में जानकारी है और आप इसकी चिकित्सा भी करवा रही हैं।
परीक्षण के आधार पर मैं यह निश्चित तौर पर कह सकता हूँ कि आप मध्यप्रदेश के किसी पहाड़ी क्षेत्र के वैद्य से अपनी चिकित्सा करवा रही हैं और संभवत: यह वेजाइनल कैंसर है।
यदि आपको और अधिक सबूतों की जरूरत है तो मैं उन वैद्य का नाम भी आपको बता सकता हूँ।
उन्होंने हार मान ली और कहा कि उन्हें पिछले 4 सालों से वेजाइनल कैंसर है। कीमोथेरेपी के सारे उपाय अब असफल साबित हो चुके हैं इसलिए वे मध्यप्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र के एक वैद्य से दवा ले रही है।
इस वैद्य के बारे में उन्हें जानकारी यूट्यूब से मिली थी। यूट्यूब में उनके ऊपर जो फिल्म बनाई गई थी उसमें बताया गया था कि वे पुराने वृक्षों की छाल का प्रयोग करते हैं और छाल के प्रयोग से कैंसर की चिकित्सा करते हैं।
उनके बारे में लोगों ने बहुत अच्छी अच्छी राय लिखी थी इसलिए हम लोगों ने निश्चय किया कि अब हम आखिरी विकल्प के रूप में उनसे ही मिलेंगे।
हम लोग जब जांच कराने पहुंचे तो वैद्य जी ने हमारी पूरी जांच करने के बाद कहा कि यह कैंसर 6 महीनों के अंदर पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।
वे कहीं बाहर जा रहे थे इसलिए उन्होंने कहा कि दवा 15 दिनों के बाद आकर ले जाएं।
दोबारा मैं नहीं जा सकी और मैंने अपने पतिदेव को भेजा कि वे जाकर दवा ले आए और उनके प्रयोग की विधि के बारे में पूरी जानकारी एकत्र कर ले।
उनकी दवा से हमें 1 हफ्ते के अंदर ही फायदा दिखने लगा पर कुछ समय बाद जब कालेपन की समस्या शुरू हुई तो हमारा पूरा ध्यान इसी समस्या की ओर चला गया और हम इसकी चिकित्सा करवाने के लिए दर-दर भटकने लगे। यह कहकर उन्होंने अपनी बात पूरी की।
मैंने उन्हें बताया कि मैं 90 के दशक से उन वैद्य को जानता हूँ। वे निश्चित ही तरह-तरह के कैंसर की चिकित्सा में माहिर है।
उनका बड़ा नाम है। दुनिया भर में उनके मरीज हैं। वे कई तरह के नुस्खों का प्रयोग करते हैं।
शरीर के निचले भाग में होने वाले कैंसर के लिए वे एक विशेष प्रकार के नुस्खे का प्रयोग करते हैं। इस नुस्खे को तैयार कर लेने के बाद एक विशेष प्रजाति के सांप को मारकर उसके मुंह इसे रखा जाता है और सांप के मुंह को पूरी तरह से सिल दिया जाता है।
इससे पहले सांप का जहर निकाल लिया जाता है। सांप के मुंह के अंदर सिली व्यवस्था में दवा 6 महीने तक पड़ी रहती है। फिर उस दवा को बाहर निकाल कर मरीजों को दिया जाता है।
यह दवा बहुत कारगर है पर इसके बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हैं। शरीर के विभिन्न हिस्सों का काला होना इसका एक गंभीर साइड इफेक्ट है। इस बारे में वैध जानते हैं।
पहले से ही अपने मरीजों को बता देते हैं कि दवा का प्रयोग करने से इस तरह के लक्षण आएंगे।
वे सात प्रकार के लक्षणों का वर्णन करते हैं और बताते हैं कि ये लक्षण अगर आयें तो इनसे घबराने की जरूरत नहीं है। इस दवा के साथ में वे दो-तीन दवाएं और भी देते हैं ताकि लक्षणों की उग्रता काफी हद तक कम हो जाए।
इन दवाओं के बावजूद कई मरीजों में बहुत उग्र लक्षण आते हैं। संभवत: ऐसा सर्प के विष के कारण होता है। ऐसे मरीज जब वापस वैद्य के पास जाते हैं तो वे उनसे कहते हैं कि वे इस दवा का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें।
यह दवा उनके लिए नहीं है और हाथ जोड़कर कह देते हैं कि वे किसी और चिकित्सक से चिकित्सा करवा लें। वैद्य उनकी सारी फीस वापस कर देते हैं।
संभवत: आपके पति को उन्होंने इस बात की जानकारी दी होगी और दवा बंद करने के डर से उन्होंने आपको यह नहीं बताया होगा।
उनके पतिदेव सारी बातें चुपचाप बैठकर सुन रहे थे। थोड़ी देर बाद उन्होंने स्वीकार किया कि जब वे दोबारा अकेले दवा लेने गए थे तो वैद्य ने 1 घंटे का समय लिया था और पूरी जानकारी साफ-साफ शब्दों में उन्हें बताई थी।
यह भी बताया था कि यह एक जहरीला नुस्खा है जिसको बहुत संभलकर उपयोग करने की जरूरत है और यदि किसी भी प्रकार की समस्या हो तो तुरंत वैद्य से संपर्क करने के लिए उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी दिया था।
यह भी कहा था कि वे हमेशा फोन उठा लेते हैं और आवश्यक जानकारी दे देते हैं।
उनके पति ने आगे कहा कि मुझे यह बात मालूम थी कि इससे कालापन आएगा पर इतना अधिक कालापन आएगा इसकी मैंने कल्पना नहीं की थी।
मैंने सोचा कि यह किसी और रोग के कारण हो रहा है इसलिए पत्नी के साथ पूरे देश में घूम कर अलग -अलग चिकित्सकों से मिलता रहा।
यदि हम उन चिकित्सकों को बता देते कि हम वेजाइनल कैंसर के लिए कोई देसी दवा का उपयोग कर रहे हैं तो वे साफ तौर पर इसका प्रयोग करने से मना कर देते हैं इसलिए हमने आपसे भी यह बात छुपा कर रखी पर आप अपने परीक्षणों और अनुभव के आधार पर जान गए कि यह सारा उत्पात वैद्य की दवा के कारण हो रहा है।
अब आप इतना सब कुछ जान चुके हैं तो हमें उपाय बताइए ताकि वैद्य जी की दवा भी काम करती रहे और साथ ही उससे किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
मैंने उन्हें बताया कि पिछले 30 सालों से वैध जी के मरीज मेरे पास आते रहे हैं। बहुत से मामलों में तो स्वयं वैद्य ही लोगों से कहते हैं कि अगर उनके फार्मूले के दोष को दूर करना है तो रायपुर में वे मुझसे मिले।
जैसा कि आप जानते हैं कि मैं चिकित्सक नहीं हूँ, वैज्ञानिक हूँ इसलिए मैं किसी प्रकार की दवा आपको नहीं दे सकता।
हां, 25 तरह के देसी चावल से तैयार एक नुस्खा हमारे छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक तैयार करते हैं जिसमें इस जहरीले नुस्खे के दोषों को दूर करने की अपूर्व क्षमता है।
आप कहें तो यह नुस्खा मैं आपको दे सकता हूँ। जैसा कि मैंने बताया कि इसमें 25 तरह के देसी चावल का प्रयोग होता है।
ये चावल बाजार में नहीं मिलते हैं। इन्हें पारंपरिक चिकित्सकों के पास जाकर एकत्र करना होता है या फिर सीधे ही किसानों से खरीदना पड़ता है। यह एक खर्चीली प्रक्रिया है और साथ ही बहुत अधिक समय मांगती है।
अगर आपका बजट इसके लिए है तो मैं स्वयं जाकर पारंपरिक चिकित्सकों की सहायता से इस नुस्खे को तैयार कर आपको दे सकता हूँ।
उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त बजट है। आप इस दिशा में आगे बढ़िए। हमें किसी भी तरह से इस समस्या का समाधान चाहिए।
उन्होंने पूछा कि क्या कालापन पूरी तरह से चला जाएगा या फिर जो कालापन हो गया है वह वैसा ही रहेगा और नया कालापन नहीं होगा।
मैंने कहा कि इससे नया कालापन नहीं होगा और साथ ही जो पहले से कालापन है वह धीरे-धीरे समय के साथ पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा।
उन्होंने धन्यवाद दिया।
मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।
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