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कब होगा छत्तीसगढ मे “औषधीय धान क्रांति” का सूत्रपात?

कब होगा छत्तीसगढ मे “औषधीय धान क्रांति” का सूत्रपात? - पंकज अवधिया गर्भावस्था की शुरुआत मे लाइचा के प्रयोग से शुरु होकर फिर प्रसूति के बाद शिशु को महाराजी, पाँचवे वर्ष मे कंठी बाँको, जवानी मे तेन्दुफूल, अधेड होने पर पाँच विशेष किस्म व बुढापे तक कुल 18 किस्म और रोगमुक्त जीवन की गारंटी। यहाँ बात हो रही है औषधीय धान और इसके दिव्य औषधीय गुणो की। बुढापे तक कुल 18 किस्म के पारम्परिक औषधीय धान का उपयोग आपको सभी रोगो से मुक्त रख सकता है। यह आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढाता है और रोगो से लडने के लिये शरीर को तैयार करता है। यदि आप समझ रहे है कि आपको इसे लेने मे देरी हो गयी है तो आप गलत है। आप उम्र के किसी भी पडाव से इसका उपयोग शुरु कर सकते है। आप रोग विशेष के लिये इसका उपयोग कर सकते है। यहाँ तक के लिये मधुमेह (डायबीटीज) के लिये भी। मधुमेह मे चावल? जी, आपने बिल्कुल सही पढा। औषधीय धान मे न केवल मधुमेह के उपचार की क्षमता है बल्कि इसका सही प्रयोग आपको इससे बचा भी सकता है। औषधीय धान कैंसर की चिकित्सा मे भी उपयोगी है। मुन्दरिया का प्रयोग इसके लिये पीढीयो से होत...