कैंसर में रानीजाड़ा से दस्त, तब सालममिश्री तबियत कर दे मस्त

कैंसर में रानीजाड़ा से दस्त, तब सालममिश्री तबियत कर दे मस्त
पंकज अवधिया   



रानीजाड़ा के नाम से मैं परिचित हूँ. यह एक महत्वपूर्ण वनस्पति है जिसकी सहायता से बस्तर के पारम्परिक चिकित्सक बहुत से रोगों की सफल चिकित्सा करते हैं. आपको जो लगातार दस्त हो रहे हैं वो इसके बीजों के अति सेवन के कारण हो रहे हैं. आप इनका प्रयोग बंद करेंगे तो आपको दस्त से जल्दी ही राहत मिल जायेगी.

आपको लीवर का कैंसर है और आप कनाडा से आये हैं. आपको भारतीय पारम्परिक चिकित्सा पर विश्वास है इसलिए आप इतनी दूर से बस्तर के पारम्परिक चिकित्सकों से मिलने और उनसे दवा लेने आये हैं.

आपका आधुनिक उपचार बंद हो चुका है और आपको बताया गया है कि कैंसर बहुत तेजी से फैल रहा है. आपको इस बात का आभास है कि आपके पास अब ज्यादा समय नही है.

बस्तर के पारम्परिक चिकित्सकों ने आपका आरम्भिक परीक्षण किया फिर आपको दो बीज दिए जिन्हें आपको पीसकर रात को पानी के साथ लेना था.

आपने उनकी बात मानी और ऐसा ही किया. दूसरे दिन सुबह आपका पेट बहुत अच्छे से साफ़ हुआ. अगले दिन जब आप उनके पास गये तो उन्होंने उसी वनस्पति का एक बीज उसी विधि से लेने को कहा. इस तरह हर रात वे मात्रा कम करते गये.

आपको लगा कि इससे आपको कैंसर में बहुत राहत मिल रही है. आप इसे कैंसर की दवा मान बैठे और पंसारी की दुकान से बड़ी मात्रा में बीज खरीदकर वापस लौट गये.

आप मुम्बई में कुछ समय के लिए रुके. वहां आपकी हालत बिगड़ने लगी. आपको लगातार दस्त होते रहे और आपका मानसिक संतुलन भी बिगड़ने लगा. वहां के डाक्टरों ने बताया कि आपने विष खा लिया है क्योंकि सारे लक्ष्ण विष के ही थे.

आप बीजों का उपयोग उसी तरह से कर रहे थे. रोज दो से तीन बीज ले रहे थे. आपने इंटरनेट पर रानीजाड़ा के बारे में जानकारी एकत्र करनी शुरू की तो आपको मेरे बारे में पता चला.

आपने बिना देर किये मुझे मुम्बई बुलवा लिया. जब मैंने रानीजाड़ा का नाम आपसे सुना और बीजों को देखा तो सारी स्थिति साफ हो गयी.  मैंने आपको इसे तुरंत बंद करने की सलाह दी और चेताया कि इसका मनमाना प्रयोग आपकी जान भी ले सकता है.

मैंने आपको बताया कि रानीजाड़ा का प्रयोग सीधे कैंसर की चिकित्सा में पारम्परिक चिकित्सक बहुत कम ही करते हैं. बीजों का प्रयोग लीवर के कैंसर में नही होता है. वे इसके दूसरे पौध भागों का प्रयोग करते हैं पर पर्याप्त शोधन के बाद.

आपको पारम्परिक चिकित्सकों ने शरीर की सफाई के लिए अल्प मात्रा में इसे दिया था और वे निरंतर खुराक को कम करते गये. शरीर की सफाई हो जाने के बाद ही वे कैंसर की दवा शुरू करते हैं.

आप दवा लिए बिना शरीर की सफाई करने वाली दवा को कैंसर की दवा मानकर वहां से वापस आ गये और भयंकर संकट में पड़ गये. यह आपकी बेवकूफी के कारण हुआ.  

मैं आपको सालममिस्री पर आधारित एक चूर्ण देता हूँ जिसे तीन दिनों तक लेने से आपके शरीर से रानीजाड़ा का विष समाप्त हो जाएगा.

मैं आपको यही सलाह देना चाहता हूँ कि इसके बाद आप पारम्परिक चिकित्सकों से विधिवत उपचार करवाना शुरू करें. आपके पास ज्यादा विकल्प नही बचें हैं इसलिए आप इस चिकित्सा को गम्भीरता से लें.
 
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

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