फेफड़े के कैंसर में तालीसपत्र के नुस्खे में हुआ सुधार, रोगियों का हो रहा है बेड़ा पार
फेफड़े के कैंसर में तालीसपत्र के नुस्खे में हुआ सुधार, रोगियों का हो रहा है
बेड़ा पार
पंकज अवधिया
भारतीय पारम्परिक चिकित्सा में ऐसे बहुत से नुस्खे हैं जो अब उपयोग नही हो रहे
हैं. पने कुछ दोषों के कारण ये नुस्खे पारम्परिक चिकित्सकों की निगाह से हट गये और
धीरे-धीरे हाशिये में खो गये. ऐसा ही एक नुस्खा तालीसपत्र पर आधारित नुस्खा है जिसे मैं आपको लेने की
सलाह दे रहा हूँ.
आपको फेफड़े का कैंसर है और आप रोग की अंतिम अवस्था में है. जब आपने कुछ महीने
पूर्व मुझसे सम्पर्क किया तब मैंने आपको एक के बाद एक दस से अधिक पारम्परिक
चिकित्सकों के पास भेजा जो कि फेफड़े के कैंसर की चिकित्सा में महारत रखते थे.
उन्होंने बहुत से नुस्खे आपको दिए पर सारे बेअसर साबित हुए. पारम्परिक चिकित्सकों
ने आपसे कहा कि आपने आने में देर कर दी. आपने यदि पहले उनसे सम्पर्क किया होता तो
इसके ठीक होने की प्रबल सम्भावना थी.
अब थक-हार कर आप वापस मेरे पास आये हैं. मैं भी असमंजस में हूँ. मैं आपको
निराश नही करना चाहता. मैं आपकी कैंसर से हो रही लड़ाई में मददगार बनना चाहता हूँ.
बीस वर्ष पूर्व मध्य भारत के जंगलों से मिला एक पुराना नुस्खा मैं आपको देना चाहता
हूँ जिसमे मैंने कई वर्षों के अनुभव के बाद गुणात्मक सुधार किये हैं.
तालीसपत्र पर आधारित यह नुस्खा जब मुझे पहली बार मिला तो बुजुर्ग पारम्परिक
चिकित्सक ने बताया कि उनके दादा जी फेफड़े के रोगों के लिए इसका प्रयोग करते थे पर
इसके कारण रोगियों को कई तरह की स्वास्थ समस्याएं हो जाती थी. धीरे-धीरे पारम्परिक
चिकित्सक के दादा जी ने इसका प्रयोग बंद कर दिया.
इस नुस्खे में नब्बे जड़ी-बूटियाँ थी. इसे तैयार करना बहुत मुश्किल था पर एक
बार तैयार हो जाने के बाद यह रोगियों पर बहुत अच्छा असर दिखाता था. मैंने इस
नुस्खे के दोष को दूर करने का बीड़ा उठाया.
इस नुस्खे के लेने के बाद रोगियों को भयंकर कब्ज की शिकायत हो जाती थी. मैंने
जब नुस्खे से अरुसे को हटाया तो नुस्खे का यह दोष खत्म हो गया.
महिला रोगियों को जब यह नुस्खा दिया जाता था तो उनको मिर्गी जैसे झटके आने
लगते थे. मैंने जब नुस्खे में नागरबेल को जोड़ा तो नुस्खे का यह दोष समाप्त हो गया.
ऐसे रोगी जिन्हें डायबीटीज की समस्या थी उनके लिए यह फार्मूला घातक था. मैंने
इसमें से जगमंडलकांदा को हटाया तो नुस्खे
का यह दोष जाता रहा.
इस नुस्खे के साथ गिलोय का सेवन करने वाले रोगियों को इसे लेने के बाद खून की
उल्टी होती थी. मैंने इस नुस्खे से तेलिया कंद को हटाकर इसमें वाराहीकंद को शामिल कर
दिया जिससे इसका यह दोष खत्म हो गया.
इसे लम्बे समय तक लेने के बाद रोगियों को जोड़ों में बहुत दर्द होता था. नुस्खे
से सोनामाखी हटाने के बाद नुस्खे का यह दोष खत्म हो गया.
पिछले दस वर्षों से संशोधित नुस्खे का प्रयोग मैं कैंसर के रोगियों को
अनुमोदित कर रहा हूँ. हजारों रोगी विशेषकर फेफड़े के कैंसर से प्रभावित रोगियों के
लिए यह रामबाण से कम नही है.
इसमें अभी भी सुधार की गुंजाइश है जिसमे मैं लगा हुआ हूँ. आप इस नुस्खे का
विधिवत प्रयोग करें. मुझे विश्वास है कि आपको लाभ होगा.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं .
-=-=-
कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000
घंटों से अधिक अवधि की फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं.
सर्वाधिकार सुरक्षित
E-mail: pankajoudhia@gmail.com
-=-=-
Comments