मुंह के कैंसर की दवा से नपुंसकता, जड़ी-बूटियों का ज्ञान ही आपको है बचा सकता पंकज अवधिया  


मुंह के कैंसर की दवा से नपुंसकता, जड़ी-बूटियों का ज्ञान ही आपको है बचा सकता

पंकज अवधिया  




आपने मुंह के कैंसर के लिए जो दवा विकसित की है उसके बारे में जानकार मुझे बहुत खुशी हुयी. आपने बताया कि रोग की आरम्भिक अवस्था में यह असरकारक है और कीमोथेरेपी जैसे आधुनिक उपचारों के बुरे प्रभावों से पूर्णत: मुक्त है.



आप सब बंगलुरु से आये हैं और एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं. आपने पांच वर्षों की मेहनत से मुंह के कैंसर की दवा विक्सित की है. आपने जब इसे रोगियों पर आजमाया तो आपको अच्छे परिणाम मिले. कुछ रोगियों को कई तरह की समस्याएं हुयी. उन्ही समस्याओं के बारे में चर्चा करने के लिए आप सब मुझसे मिलने आये हैं. आपका स्वागत है.



आपने बताया कि आपने काला बाला पर आधारित नुस्खा विकसित किया है जिसमे बीस तरह की जड़ी-बूटियाँ मिलाई गयी हैं. सभी जड़ी-बूटियाँ आप जंगलों से एकत्र करते है और फिर उसे लैब में तैयार करके रोगियों को देते हैं.



आपने बताया कि जब इस नुस्खे को युवाओं को दिया जाता है तो उनमे नपुंसकता जैसे लक्ष्ण आने लगते हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसा नुस्खे में उपस्थित चव्य के कारण हो रहा है. इसकी नुस्खे के दूसरे घटकों से नकारात्मक प्रतिक्रिया हो रही है. आप इसे नुस्खे से हटा दें.



यदि यह सम्भव न हो तो इसके साथ सौंफ का प्रयोग करें. इससे नुस्खे का यह दोष समाप्त हो जाएगा. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जब आप सौंफ और चव्य का एक साथ प्रयोग करें तो रोगियों को घी के अति सेवन से बचने की सलाह दें.



आपने बताया कि जब यह नुस्खा ऐसे रोगियों को दिया जाता है जिन्हें आधासीसी नामक सिरदर्द की समस्या होती है तब इस नुस्खे से उनकी समस्या कई गुना अधिक बढ़ जाती है.



मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इस समस्या का मूल कारण साल की छाल की उपस्थिति है. आप इसे ठंड के मौसम में जंगल से एकत्र कर रहे हैं. यदि आप इसे बसंत में एकत्र करें तो आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा.



इसके साथ यदि आप अल्प मात्रा में तिखुर का प्रयोग करेंगे तो रोगियों की सिरदर्द की समस्या का स्थायी रूप से समाधान हो जाएगा.



जब आप साल की छाल के साथ तिखुर का प्रयोग करें तो सिंघाड़ा के किसी भी रूप में प्रयोग से बचने की सलाह रोगियों को दे. यदि इन दोनों के साथ सिंघाड़ा लिया जाएगा तो रोगियों को बार-बार पेशाब होने की समस्या का सामना करना पड़ेगा.



आपने बताया कि नुस्खे को रात के समय देने से बहुत से रोगियों में दमा जैसे लक्ष्ण आते हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसा नुस्खे में चन्द्रशूर के उपस्थित होने के कारण हो रहा है. इसकी नुस्खे के अन्य घटकों से नकारात्मक प्रतिक्रिया हो रही है. आप इसके स्थान पर दोनों प्रकार की कटेली की प्रयोग करें. इससे नुस्खे का दोष खत्म हो जाएगा.



आप मेरे द्वारा बताये गये उपायों के आधार पर नुस्खे में सुधार करें और रोगियों पर इसका प्रयोग करें. यदि आपको कोई नई समस्या आये तो नि:संकोच मुझसे सम्पर्क करें.     

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं .

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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 




सर्वाधिकार सुरक्षित


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