ब्रेन कैंसर में चिरमिटी और चम्पा के फूल, पागलों की दवा कैंसर रोगी को देने की न करे भूल
ब्रेन कैंसर में चिरमिटी और चम्पा के
फूल, पागलों की दवा कैंसर रोगी को देने की न करे भूल
पंकज अवधिया
एक घंटे पूर्व जब मैं मुम्बई एयरपोर्ट
में था तब तो आपके पिताजी बिलकुल ठीक थे. अब अचानक कैसे अचेत हो गये. मैं जल्दी से
जल्दी पहुंचने की कोशिश करता हूँ.
आपके पिताजी को ब्रेन कैंसर है और इसके
कारण पिछले कुछ दिनों से वे कुछ समय के लिए अचेत हो जाते हैं. उनके निजी डाक्टर
असमंजस में हैं पर उन्हें लगता है कि ऐसा कैंसर के तेजी से फैलने के कारण हो रहा
है.
आपने पिताजी को कैंसर मुक्त करने के लिए
अपना सब कुछ लगा दिया. आप दुनिया भर में चिकित्सा के लिए गये पर सभी चिकित्सकों ने
आपको साफ शब्दों में बता दिया कि अब उनके बचने की सम्भावना कम है.
उनका आधुनिक उपचार अब बंद हो चुका है.
जम्मू के किसी वैद्य से उनका उपचार चल रहा है. उनका कहना है कि उनकी दवा लम्बे समय
में असर करती है. उन्होंने भी आपके पिताजी की गिरती हालत पर चिंता व्यक्त की है पर
आप हिम्मत नही हारना चाहते हैं.
आप कोई कसर नही छोड़ना चाहते हैं. इसलिए
आपने मुझसे भी मुम्बई आने का अनुरोध किया ताकि मैं अपने अनुभव के आधार पर आपके
पिताजी की कुछ मदद कर सकूं.
आपने मेरी बात जम्मू के वैद्य से करवाई. उन्होंने
विस्तार से बताया कि वे कौन सी जड़ी-बूटियाँ आपके पिताजी को दे रहे हैं. उन्होंने
बताया कि ब्रेन कैंसर का यह उनका पहला केस है और इस बारे में वे ज्यादा कुछ नही
जानते हैं.
वे मानसिक रोगों की चिकित्सा में माहिर
हैं. वे आपके पिताजी को चम्पा के फूल और चिरमिटी पर आधारित पारम्परिक औषधीय मिश्रण
दे रहे हैं. चूंकि आपके पिताजी को कैंसर है इसलिए वे इस मिश्रण को अनुमोदित मात्रा
से तीन गुना अधिक मात्रा में दे रहे हैं.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि बार-बार
अचेत हो जाने की समस्या ब्रेन कैंसर से सम्बन्धित नही है. ऐसा नही है कि ऐसा ब्रेन
कैंसर में नही होता है पर आरम्भिक परीक्षणों के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि आपके
पिताजी को यह समस्या वैद्य के फार्मूले से हो रही है.
उन्होंने चिरमिटी का ठीक से शोधन नही
किया है. जो दवा आपके पिताजी को दी जाती है वह पागलों की दवा है. उन्माद के रोगी
इसे लेने के बाद कुछ ही समय में शांत हो जाते हैं पर जब शांत व्यक्ति को इसे दिया
जाता है तो वह अचेत हो जाता है कुछ समय के लिए जैसे कि आपके पिताजी हो रहे हैं.
यह मैं अनुमोदित मात्रा की बात कह रहा
हूँ. वैद्य तो तीन गुनी अधिक मात्रा दे रहे हैं. सोचिये ऐसे में पिताजी की कैसी
हालत हो रही होगी.
मैं आपको यही सलाह देना चाहता हूँ कि आप
वैद्य की दवा तुरंत बंद करें. हमारे देश में बहुत से ऐसे पारम्परिक चिकित्सक हैं जो
आपके पिताजी को अपने पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान से बचाने की क्षमता रखते हैं.
कैंसर की चिकित्सा जानकार से करवाएं न कि मानसिक रोग की चिकित्सा करने वालों से.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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सर्वाधिकार सुरक्षित
E-mail: pankajoudhia@gmail.com
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