कैंसर के घाव में बिलबिलाते कीड़ें, उलटकहवा और उलटतेंदु साथ ले उनसे भिड़ें
कैंसर के घाव में बिलबिलाते कीड़ें, उलटकहवा
और उलटतेंदु साथ ले उनसे भिड़ें
पंकज
अवधिया
आपने बताया कि आपके घाव के कीड़े पड़ गये
हैं. रास्ते में ट्रेन के सफर के दौरान आपके पास बैठने को कोई भी तैयार नही हुआ.
सारे सहयात्री बदबू और घाव से गिर रहे कीड़ों के कारण आपसे दूर चले गये. आपने भयानक
कष्ट में यह यात्रा पूरी की. मैं आपकी मदद करूंगा. आप आराम से बैठिये.
आपको गुटखे के कारण होने वाला मुंह का
कैंसर है और टयूमर इतना अधिक बड़ा हो चुका है कि आपका मुंह पूरी तरह से बंद हो गया
है . उसकी ठीक से सफाई न होने के कारण घाव सड़ने लगा है और उसमे कीड़े पड़ गये हैं.
आधुनिक चिकित्सकों ने पहले ही हाथ खड़े कर
दिए थे. आपके घाव की ड्रेसिंग होती रही पर वह भी बाद में बंद हो गयी. आपको आपके हाल पर छोड़ दिया गया.
आपने दर्जनों वैद्यों से मुलाक़ात की पर
उन्होंने कैंसर की चिकित्सा से इंकार कर दिया. एक वैद्य ने आपको नीम की जड़ और हींग
को मिलाकर घाव में लगाने को कहा पर हींग की तेज बदबू के कारण आप ऐसा नही कर पाए.
एक और वैद्य ने आपको शीतलचीनी और सफेद
कत्था पर आधारित लेप दिया पर मुंह के पूरी
तरह बंद हो जाने के कारण आप बाहर से ही लेप लगा सके पर इससे आपकी समस्याओं का
समाधान नही हुआ.
आप अपने मित्र के कहने पर मुझसे मिलने
आये हैं. आपने इतने अधिक कष्ट में इतनी लम्बी यात्रा की है-आपके हिम्मत की मै दाद
देता हूँ.
आपके आने से पहले मैं रायपुर से तीन सौ
किलोमीटर दूर स्थिति घने जंगलों में गया और वहां से पारम्परिक चिकित्सकों की
सहायता से उलटकहवा और उलटतेंदु के वृक्षों की छाल लेकर लौटा.
ये मूलत: कहवा और तेंदु के पुराने वृक्ष
होते हैं पर इनकी छाल में विशेष परिवर्तन आ जाते हैं जिससे ये दिव्य औषधीय गुणों
से परिपूर्ण हो जाते हैं. ऐसा लाखों वृक्षों में से एक में होता है.
ऐसे दुर्लभ वृक्षों को जंगल में खोजना
टेढ़ी खीर है. इसलिए पारम्परिक चिकित्सकों की सहायता जरूरी होती है. चूंकि मैं जंगल
जाता रहता हूँ और ऐसे वृक्षों से छाल एकत्र करता रहता हूँ इसलिए राह आसान हो जाती
है.
उलटकहवा और उलटतेंदु की छालों को मैंने
पचास जड़ी-बूटियों से तैयार ताजे घोल में डुबोकर रखा और फिर मोदगर नामक वृक्ष की
छाँव में सुखाया. अब यह प्रयोग के लिए तैयार है.
इसका चूर्ण आपके घाव में लगते ही कुछ समय
में आपका घाव कीड़े से मुक्त हो जाएगा और फिर भरने लगेगा. इसके साथ दी जाने वाली
आंतरिक दवाएं आपस में मिलकर काम करती हैं.
इससे आपको कम समय में अधिक आराम मिलेगा. आपकी कठिनाई का दौर अब बस खत्म हुआ समझें.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
-=-=-
कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज
अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की फिल्में आप इस
लिंक पर जाकर देख सकते हैं.
सर्वाधिकार सुरक्षित
E-mail: pankajoudhia@gmail.com
-=-=-
Comments