Consultation in Corona Period-9

Consultation in Corona Period-9

Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"जैसा कि आप जानते हैं कि यह वायरस चीन से फिलीपींस तक पहुंच गया है। हम लोग क्लिनिकल ट्रायल्स करना चाहते हैं। उसके लिए हमें मेडिसिनल राइस की आवश्यकता है। क्या आप इस विषय में हमें परामर्श दे सकेंगे?" फिलीपींस के शोधकर्ताओं का जब यह संदेश आया तो मैंने सोचा कि उन्हें भारतीय मेडिसिनल राइस की जरूरत है पर उन्होंने बाद में बताया है कि उन्हें ऐसे मेडिसिनल राइस की जरूरत है जो कि फिलीपींस के मूल निवासी हो और जिनमें एंटीवायरल प्रॉपर्टीज हों।


जैसा कि आप जानते हैं कि मैंने दुनिया भर के मेडिसिनल राइस पर शोध किया है और इससे संबंधित चिकित्सकीय ज्ञान को डॉक्यूमेंट के रूप में अपने डेटाबेस के माध्यम से प्रस्तुत किया है इसीलिए फिलिपिंस के शोधकर्ताओं ने मुझसे सीधे संपर्क करने करने का मन बनाया।


फिलीपींस के हजारों मूल मेडिसिनल राइस की सूची में से मैंने 10 राइस सिलेक्ट किए और उनकी सूची शोधकर्ताओं को भेज दी।


इनमें से 9 तो उनको किसानों के खेतों में मिल गई पर एक के लिए उन्होंने फिर से मुझसे संपर्क किया।


फिलीपींस में इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट है जहां पर दुनिया भर के चावल संजोकर रखे गए हैं।


मैंने उनसे कहा कि आप इंस्टिट्यूट से यह चावल प्राप्त कर सकते हैं।


 यह उनका सौभाग्य था कि उनको यह चावल इंस्टिट्यूट से मिल गया और उन्होंने अनुसंधान शुरू कर दिया।


1 महीने के अंदर उन्हें अच्छे परिणाम मिलने लगे और उन्होंने मुझे बताया कि मेरे द्वारा सुझाए गए 10 मेडिसनल राइस में से तीन कोरोना के विरूद्ध सशक्त भूमिका निभा रहे हैं।


ये तीन मेडिसिनल राइस उन मरीजों के लिए बेहद कारगर हैं जो कि वेंटीलेटर पर है और कोविड की तथाकथित अंतिम अवस्था में है।


उन्होंने अपने क्लीनिकल ट्रायल जारी रखे।


उनके परिणामों से प्रेरित होकर मैंने ट्वीट किया कि विश्व स्वास्थ संगठन को मेडिसनल राइस पर अनुसंधान पर जोर देना चाहिए और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट को संबोधित करते हुए ट्वीट किया कि वे अपने खजाने का द्वार खोल दें और दुनिया को कोरोना से मुक्ति दिलाये।


कंबोडिया के अनुसंधानकर्ताओं ने भी फिलीपींस की तर्ज पर मुझसे संपर्क किया पर जिन मेडिसिनल

 राइस की सूची मैंने उन्हें दी वे उन्हें कंबोडिया में नहीं मिले क्योंकि अब पारंपरिक खेती का स्थान रासायनिक खेती ने ले लिया था और किसान पुरानी किस्मों की जगह नई अधिक उत्पादन देने वाली किस्में लेने लगे थे।इसलिए ये क्लिनिकल ट्रायल्स नहीं हो पाए।


 छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के पास 20,000 से अधिक किस्म के धान हैं। इनमें से ज्यादातर छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा में पीढीयों से प्रयोग होते रहे हैं।


 मैंने विश्वविद्यालय में रखे गए धान के अलावा किसानों के खेतों से भी पुरानी किस्मों के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र की है और उसे अपने लेखों के माध्यम से प्रस्तुत किया है।


 दिसंबर में जब यह रहस्यमयी बीमारी फैलनी शुरू हुई थी तभी से मैंने छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली धान की किस्मो में से ऐसी किस्मों की पहचान शुरू कर दी थी जिनमें सुपरिचित एंटीवायरल प्रॉपर्टीज थी।


 मुझे उम्मीद थी कि छत्तीसगढ़ के अनुसंधानकर्ता या देश के अनुसंधानकर्ता मुझसे यह सूची लेने आएंगे और कोरोनावायरस के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स के माध्यम से इनका परीक्षण करेंगे।


कभी मेरा एक सपना हुआ करता था कि राज्य में फिलीपींस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की तर्ज पर इंटरनेशनल मेडिसिनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना हो और मेडिसिनल राइस के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ विश्व का प्रतिनिधित्व करें पर यह सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।


यदि क्लिनिकल ट्रायल्स के द्वारा हम छत्तीसगढ़ की कारगर पारंपरिक किस्म की पहचान कर लेते तो भविष्य में पूरी दुनिया के लिए हमारे किसान आम धान के स्थान पर मेडिसिनल राइस की खेती करते और उसको इस रहस्यमयी बीमारी से मुक्त करते।


ब्रिटेन के वैज्ञानिको ने जो कि मेरे अनुसंधान से परिचित है , भारतीय मेडिसिनल राइस सुझाने के लिए कहा और कुछ जानी मानी किस्मों के बीजों की मांग की।


मैंने उनसे कहा कि वे नेशनल बायोडायवर्सिटी बोर्ड से संपर्क करें क्योंकि उन के माध्यम से ही उन्हें बीज उपलब्ध हो पाएंगे। सीधे बीजों की आपूर्ति संभव नहीं है। उन्होंने प्रयास किए पर लॉक डाउन की वजह से शायद वे इस प्रयास में सफल नहीं हो पाए।


मैंने अपने अनुभव के आधार पर छत्तीसगढ़ के 5 ऐसे मेडिसनल राइस का चुनाव किया था जोकि कोरोनावायरस द्वारा नष्ट किए गए फेफड़े के ऊतकों को फिर से सक्रिय कर देते हैं।


 इस आशय की सूचना विभिन्न माध्यमों से मैंने भारत सरकार को दी थी। अभी तक मुझे उत्तर की प्रतीक्षा है।


मेरे इन प्रयासों से अभिभूत होकर मेरे सहृदय पड़ोसी महोदय ने कहा कि यदि आप चाहे तो आपको आदरणीय योगी जी की टीम में शामिल कर देते हैं पर यदि किसी मरीज की मृत्यु हुई तो उसके लिए पूरी तरह आप जिम्मेदार होंगे।


मैंने विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया क्योंकि मैं पेशे से चिकित्सक नहीं हूं और मरीजों का उपचार करना चिकित्सक का ही अधिकार है। 


मैं शोधकर्ता हूं और अपने अनुभवों के आधार पर आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सकों को उचित मार्गदर्शन दे सकता हूं। फैसला उनको करना है।


मेरी भूमिका यहीं तक है।


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