Consultation in Corona Period-5
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"चीन के आमंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से हमारी पूरी टीम बीजिंग जा रही है ताकि यह पता लग सके कि चीन वास्तव में इस महामारी के नियंत्रण के लिए कुछ ठोस उपाय कर रहा है या नहीं। हमने जाने की पूरी तैयारी कर ली है। सारे सुरक्षा साधन अपने साथ रख लिए हैं। स्वास्थ का बेहतर ध्यान रख रहे हैं फिर भी यदि आप कुछ सुझा सकें तो हमारी बहुत अधिक मदद हो जाएगी।" ऐसा संदेश मुझे उस टीम में जा रहे एक एक्सपर्ट मित्र से मिला.
मैंने उन्हें बहुत सारे उपाय बताएं और साथ ही कहा कि यदि आप किसी को रायपुर भेज सकें तो मैं एक विशेष प्रकार का संस्कारित लौंग भेज दूंगा जिसे आप हमेशा मुंह में दबाकर रख सकते हैं। मुझे लगता है कि इससे आप संक्रमण से पूरी तरह बचे रहेंगे।
उन्होंने मेरी बात मानी और इसके बारे में विस्तार से जानकारी मांगी। मैंने उन्हें अपना आलेख भेज दिया जिसमें यह बताया गया था कि कैसे छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक गुटखा की आदत वाले युवाओं को इस लौंग को मुंह में रखने की सलाह देते हैं ताकि गुटखे का असर पूरी तरह से खत्म हो जाए और भविष्य में किसी भी प्रकार के कैंसर होने की संभावना नहीं रहे।
मैंने उस लौंग को संस्कारित करने की विधि उन्हें नहीं भेजी क्योंकि यह भारत का गोपनीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है। संस्कारित लौंग लेकर वे बीजिंग गए और अपनी यात्रा के दौरान बहुत लोगों से इसके बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि चीनी वैज्ञानिक जैसे उनके पीछे ही पड़ गए।
उस समय चीन के प्रसिद्ध अभिनेता जैकी चेन ने एक बड़े इनाम की घोषणा की थी उन लोगों के लिए जोकि कोरोना से चीन को मुक्ति दिलाने के लिए कोई दवा सुझा रहे थे।
एक्सपर्ट मित्र ने कहा कि जब यह इतना अधिक प्रभावी है तो आप क्यों नहीं इसे जैकी चेन को बताते और इनाम के हकदार बनते।
मैंने उनसे साफ शब्दों में कहा कि यह भारत का पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है और मैं जो भी करूंगा वह भारत सरकार के माध्यम से करूंगा। सीधे किसी भी तरह की सहायता नहीं कर पाऊंगा।
इस बारे में एक स्पष्ट ट्वीट भी मैंने उस समय किया था। एक्सपर्ट मित्र ने संस्कारित लौंग के बारे में दुनिया भर में अपने मित्रों को बताना शुरू किया।
इसका यह परिणाम हुआ कि बहुत से डॉक्टर विशेषकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे डॉक्टर मुंह में लौंग दबाकर कोरोना के मरीजों को देखने अस्पताल जाने लगे। यह उपाय न केवल चीन बल्कि स्पेन और और इटली के डॉक्टरों के बीच भी लोकप्रिय होने लगा पर मुश्किल इस बात की थी कि ये सभी लौंग का प्रयोग कर रहे थे न कि संस्कारित लौंग का।
नतीजा यह हुआ कि जब मुंह में लौंग दबाने के बावजूद डॉक्टर संक्रमित होने लगे तो धीरे-धीरे उन्होंने इसका प्रयोग करना बंद कर दिया।
मैंने संस्कारित लौंग के प्रयोग को जांचने के लिए इस पर क्लिनिकल ट्रायल करने की सलाह उस समय ट्विटर के माध्यम से विश्व स्वास्थ संगठन को भी दी पर मेरी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हुई।
मैंने भारत सरकार को भी इस बारे में एक प्रस्ताव भेजा पर किसी ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया।
पारंपरिक चिकित्सक 25 प्रकार की जड़ी बूटियों के घोल में लौंग को डुबोकर रखते हैं 1 से 7 दिनों तक और उसके बाद फिर उस लौंग का प्रयोग सीधे ही किया जाता है। यह पीढ़ियों पुराना पारंपरिक ज्ञान है और केवल छत्तीसगढ़ तक ही सीमित है।
जब पहली बार लॉकडाउन हुआ तो मैंने इस उम्मीद में कई किलो लौंग से संस्कारित लौंग तैयार कर ली कि छत्तीसगढ़ या केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने पर आम जनता में इसका वितरण किया जा सके पर दोनों ही ओर से किसी भी प्रकार की रुचि इसमें प्रदर्शित नहीं की गई।
अब जब अमेरिका और भारत मिलकर आयुर्वेद के माध्यम से कोरोना के लिए रिसर्च करने वाले हैं -ऐसी खबरें आ रही हैं तो मेरे एक्सपर्ट मित्र फिर से जोर लगा रहे हैं कि मैं फिर से दोनों सरकारों को संपर्क करूँ।
पारम्परिक चिकित्सकों की तरह मेरा भी मानना है कि प्रयास करना हमारे हाथ मे है शेष ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए।
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