Consultation in Corona Period-18
Consultation in Corona Period-18
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"इस दुनिया में अगर किसी में अच्छाई है तो उसमें बुराई भी है और किसी में बुराई है तो उसमें अच्छाई भी है।
इस दृष्टिकोण से कोरोना को भी देखना चाहिए और इसके शरीर पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव का भी अध्ययन करना चाहिए।
क्या आप मेरे साथ जुड़ना पसंद करेंगे?" जनवरी में चीन में फैल रहे कोरोनावायरस पर नजर रखने वाले मेरे एक अमेरिकी वैज्ञानिक मित्र से मैंने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी सोच है और इस पर काम किया जा सकता है।
उन्होंने इस बारे में लिखना शुरू किया और जल्दी ही हमारा एक बहुत बड़ा दल बन गया जो अब कोरोना के सकारात्मक प्रभाव का पूरी दुनिया में अध्ययन कर रहा है।
ब्राजील के वैज्ञानिक मित्र बताते हैं कि यदि कोरोनावायरस के कुछ दुर्गुणों को समाप्त कर दिया जाए तो यह कैंसर के लिए अभिशाप के स्थान पर वरदान हो सकता है।
वे कैंसर के विशेषज्ञ है और पूरी दुनिया में उन्हें कैंसर की चिकित्सा के लिए बुलाया जाता है।
उनके शोध निष्कर्षों के आधार पर मैंने ट्वीट किया था कि यदि फालतू कोरोनावायरस को पालतू कोरोनावायरस बना लिया जाए तो इस दुनिया से कैंसर को खत्म करने में बहुत मदद मिलेगी।
यह दुनिया के लिए चौंकाने वाली बात थी।
वे इस पर विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं और शीघ्र ही इस पर शोध पत्र भी प्रकाशित करने वाले हैं।
यह उनका शोध निष्कर्ष है इसलिए मैं इसके बारे में ज्यादा खुलासा नहीं कर सकता।
मैंने अपने अनुभव से यह देखा है कि मुझसे लगातार संपर्क रखने वाले दुनिया भर के बहुत सारे कैंसर के रोगियों का शरीर कोरोना से सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया कर रहा है।
यह एक शुभ लक्षण है।
इस प्रकृति में जब कोई भी जीव बहुत तेजी से बढ़ता है और दूसरे जीव को समाप्त करने लगता है तो मां प्रकृति अपने प्रभाव से उसे नियंत्रित करने की पूरी कोशिश करती है।
यही कारण है कि कोरोना के निर्बाध फैलाव को रोकने के लिए मां प्रकृति ने भी प्रयास करने शुरू कर दिए हैं और इसके बहुत सारे संकेत अब दिखाई दे रहे हैं।
कोरोना केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि दूसरे जीवो को भी प्रभावित कर रहा है। भले ही इसके बारे में जानकारी आम लोगों को नहीं दी जा रही है।
चीन में जनवरी में ही प्रकाशित हुआ था कि पालतू बिल्लियों और कुत्तों में कोरोना के लक्षण देखे गए हैं।
उस समय यह भी प्रकाशित हुआ था कि अमेरिका के एक चिड़ियाघर में एक बाघ कोरोनावायरस से प्रभावित हुआ है।
बहुत सारे लोग बार-बार यह पूछते रहे कि कहीं कोरोनावायरस मच्छरों से तो नहीं फैलता है। इसका भी स्पष्ट जवाब उन्हें नहीं मिला।
हमारे वैज्ञानिक मित्रों ने यह निष्कर्ष निकाला कि कोरोनावायरस के लिए मनुष्य प्राथमिकता नहीं है बल्कि इसकी रुचि दूसरे प्राणियों में है और वह गलती से मनुष्य के बीच पहुंच गया है।
कम से कम 30 वैज्ञानिक इस सिद्धांत को सही मानकर इस पर शोध कर रहे हैं।
जनवरी में मैंने कीट वैज्ञानिकों को सुझाया था कि वे ड्रैगनफ्लाई पर काम करें क्योंकि मुझे लगता है कि ड्रैगनफ्लाई प्रकृति में कोरोनावायरस और उसे बढ़ावा देने वाले जीवों को बहुत अच्छे तरीके से नियंत्रित कर सकती है।
बहुत से कीट वैज्ञानिकों ने इस पर ध्यान दिया और अब वे पूरी दुनिया में इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि जिन इलाकों में ड्रैगनफ्लाई की संख्या अधिक है क्या वहां कोरोनावायरस का प्रसार कम है? क्या इन दोनों में कोई सीधा संबंध है?
मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही वे ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। इस महत्वपूर्ण विषय पर काम कर रहे हैं वैज्ञानिक ड्रैगनफ्लाई, मच्छरों और कोरोनावायरस के संबंधों का बहुत गहनता से अध्ययन कर रहे हैं।
हमारे शरीर के अंदर असंख्य जीव रहते हैं और जब शरीर खत्म होता है तो ये भी खत्म हो जाते हैं।
ऐसे में जब स्वस्थ शरीर में कोरोनावायरस आक्रमण होता है तो ये असंख्य जीव शरीर को बचाने की कोशिश करते हैं यानी हमारे मित्र की तरह कार्य करते हैं।
दुश्मन का दुश्मन मित्र होता है यह तो हम सभी जानते हैं। हमारे दल के बहुत से वैज्ञानिक इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि शरीर में रहने वाला कौन सा जीव कोरोना से लड़ने में सक्षम है।
अगर इस बात की पूरी जानकारी हो जाए तो उस जीव के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार कर शरीर को कोरोनावायरस से प्रभावी रूप से लड़ने के लिए सक्षम किया जा सकता है।
उन्होंने एक बैक्टीरिया की पहचान की है पर इस बारे में जानकारी को वे गोपनीय रखना चाहते हैं।
हमारे दल के सभी वैज्ञानिक इस बात पर एक मत है कि पूरी दुनिया में कोरोना से हो रही असंख्य मौतों के लिए केवल और केवल डर जिम्मेदार है।
डर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देता है और वह किसी भी अदने से आक्रमणकारी के सामने हार जाता है।
कोरोना से डराने में दुनियाभर की मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
लोग इतने अधिक डर गए हैं कि एक बार कोरोनावायरस का आक्रमण होने पर बहुत से कमजोर दिल के लोग आत्महत्या कर ले रहे हैं। यह डर कोरोना के विरुद्ध हमारी लड़ाई में एक बड़ी बाधा बना हुआ है।
अखबार के संपादक मेरे एक मित्र मुझसे पूछते हैं कि इस कोरोना काल में सभी लोग कुछ न कुछ दुनिया के लिए कर रहे हैं। मुझे क्या करना चाहिए?
मैंने उन्हें दो टूक कहा कि सबसे पहले वे अखबार के प्रकाशन को बंद कर दे क्योंकि यह कोरोनावायरस को फैलने में बहुत मदद कर रहा है।
अगर उनकी जिद है कि वे अखबार का प्रकाशन बंद नहीं करेंगे तो कम से कम अपने अखबार को पॉजिटिव न्यूज़ से भर दे ताकि लोगों का आत्मविश्वास बढ़े और बिना किसी वैक्सीन या दवा के आम आदमी अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के बल पर इस वायरस पर नियंत्रण कर सके।
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