365 days schedule for Heart patients (at initial stage) suggested by Traditional Healers of Indian state Chhattisgarh. by Pankaj Oudhia
365 days schedule for Heart patients (at initial stage) suggested by Traditional Healers of Indian state Chhattisgarh.by
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Contributor:Dr. Pankaj Oudhia QA and TEM | eResDocs Formal report Free form Table of Contents Display Full eArticle | ID: 3136 |
Abstract |
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This report is an effort to document traditional medicinal knowledge about herbs and herbal combinations related to Heart troubles in Indian state Chhattisgarh. |
Table of Contents |
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List of Herbs used in these schedules |
Hindi Article based on this report. |
Errata |
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ह्रदय रोगो को कहे अलविदा असाधारण पारम्परिक ज्ञान के साधारण प्रयोग से - पंकज अवधिया आज दुनिया भर मे ह्रदय रोगियो की संख्या बढती जा रही है। आमतौर पर मरीज जब चिकित्सक तक पहुँचते है तब तक रोग बहुत बढ गया होता है। अचानक से दिनचर्या मे परिवर्तन करना पडता है और दवाओ का दौर आरम्भ हो जाता है। सोचिये कितना अच्छा हो कि रोग की शुरुआत मे ही रोगी को सब कुछ पता चल जाये और अपनी दिनचर्या मे थोडा से परिवर्तन करके वह आजीवन इन्हे बढने से रोक सके। प्राचीन भारतीय चिकित्सा ग्रंथो मे कई प्रकार की वनस्पतियो और उन पर आधारित मिश्रणो का वर्णन है पर इन्हे कुशल चिकित्सको के मार्गदर्शन मे लेना आवश्यक है। आखिर यह दिल का मामला जो है। देश के पारम्परिक चिकित्सको के पास कुछ सरल पर प्रभावी उपाय है। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से देश के विभिन्न भागो विशेषकर छत्तीसगढ मे पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान के दस्तावेजीकरण के दौरान मुझे हजारो पारम्परिक चिकित्सको से मिलने का अवसर मिला। इनमे से बहुत से पारम्परिक चिकित्सक ह्रदय रोगो की चिकित्सा मे महारत रखते है। वे रोग के आरम्भ होते ही चिकित्सा पर जोर देते है। बहुत से पारम्परिक चिकित्सक तो छोटे बच्चो की जाँच कर पहले ही से यह कह देते है कि अमुक बालक अमुक रोग से ग्रस्त होगा इसलिये अभी से उपाय किये जाये। इस तरह बचपन ही से खान-पान ऐसा कर दिया जाता है कि वह बालक ताउम्र उस रोग से बचा रहे। आज के युग मे जब शीतल पेय और विदेशी आहार भारतीय बच्चो की दिनचर्या के अहम भाग बन चुके है और परिणामस्वरुप छोटी उम्र से ही नाना प्रकार के रोग हो रहे है ऐसे मे आज देश को पारम्परिक चिकित्सको की सेवाओ की आवश्यकता है। ह्रदय रोगो की चिकित्सा से सम्बन्धित पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान भारत मे समृद्ध है। पर यह विडम्बना ही है कि इस विषय मे आधुनिक शोधकर्ताओ ने बहुत कम लिखा है। कहने को तो ढेरो शोध पत्र है पर उनमे फलाँ वनस्पति ह्रदय रोगो मे काम आती है, से अधिक कुछ नही लिखा है। इन वनस्पतियो को कैसे लेना है? कितने दिनो तक लेना है? अन्य औषधीयो के साथ इन्हे कैसे उपयोग करना है? यदि विशेष परेशानी आये तो क्या करना है? कैसे इन वनस्पतियो की पहचान करना है? किस अवस्था मे एकत्रण करना है? इसमे मिलावट को कैसे पहचानना है? आदि विषयो पर जानकारी नही दी गयी है। मधुमेह पर विस्तृत वैज्ञानिक रपट तैयार करने के दौरान जब मैने पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान को तालिकाओ के रुप मे समायोजित करने का प्रयास किया तो मुझे गूढ ज्ञान और पारम्परिक चिकित्सको की गहरी समझ का आभास हुआ। आम तौर पर ह्रदय रोगियो से साधारण बातचीत के दौरान पारम्परिक चिकित्सक काफी जनाकारियाँ एकत्र कर लेते है। फिर वे रोगी की दशा के अनुसार अलग-अलग अवधि की तालिकाओ का निर्माण करते है। रोगी से कहा जाता है कि वह अपनी दिनचर्या पहले ही की तरह रखे और इसमे साधारण प्रयोगो को स्थान देना आरम्भ करे। उदाहरण के लिये आप इस 365 दिनो की तालिकाओ को देखे। http://ecoport.org/ep?SearchType=interactiveTableList&Keyword=heart1&KeywordWild=CO हर दिन के लिये अलग तालिका बनायी गयी है और धीरे-धीरे औषधीयो की संख्या और मात्रा बढायी गयी है। इन तालिकाओ के प्रयोग के दौरान स्पष्ट रुप से समय-समय पर यह निर्देशित किया गया है कि मजे से इनका प्रयोग करे। इसे बला के रुप मे न ले। साधारण जल के प्रयोग से लेकर पेडो की छाँव मे बैठना, फूलो के साधारण प्रयोग से हर्बल चाय के असाधारण प्रयोग को इन तालिकाओ मे शामिल किया गया है। हर सात दिन के बाद वे रोगियो से बात करते है और फिर उसी के अनुसार आगे के लिये तालिकाओ मे सुधार करते है। दस्तावेजाकरण के लिये मैने एक अनोखा तरीका चुना है। मैने 365 दिन की तालिका अर्थात दिन के हिसाब से 365 तालिकाए तैयार की। फिर दूसरे पारम्परिक चिकित्सको से इस पर टिप्पणियाँ माँगी। ये सारे पारम्परिक चिकित्सक किसी एक स्थान से तो नही पढे है इसलिये हर के विचार और अनुभव अलग है। सभी ने इसमे नयी वनस्पतियो को जोडा और आधार तालिकाओ मे उनके क्रम को ऊपर नीचे किया। उनकी टिप्पणियो के आधार पर मै 100 से अधिक परिवर्तित तालिकाए तैयार कर चुका हूँ। 100 परिवर्तित तालिकाए या उपचार विधियाँ मतलब 365 गुणा 100 अर्थात 36,500 तालिकाए। एक तालिका पाँच पन्नो की है। पूरी तालिकाए लाखो पन्नो मे होंगी। यह वृहत ज्ञान है जैसा मैने पहले लिखा है। अब मै इन तालिकाओ को इकोपोर्ट मे शामिल कर रहा हूँ। निश्चित ही यह कठिन कार्य है पर मुझे लगता है कि इस ज्ञान को विलुप्त होने से पहले दस्तावेजो की शक्ल देना जरुरी है। मधुमेह की रपट मे दो लाख तालिकाओ मे से 62,000 तालिकाए हुयी है। अब साथ मे ह्रदय रोगो की तालिकाओ का कार्य भी शुरु किया है। जैसा आधुनिक चिकित्सा जगत ने नियम बनाया है, ये विशेष उपचार पहले आधुनिक ज्ञान की कसौटी पर परखे जायेंगे और उसके बाद ही ये आम जनता के लिये अनुमोदित होंगे। इस परख के लिये सबसे पहले यह जरुरी है कि इसका दस्तावेजीकरण हो पूरी तरह से। इसी का प्रयास जारी है। (लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।) |
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In 21.30 PM- Internal remedy has shifted one space lower in most of the tables. By removing one space from 'Add less salt' in each table (in internal remedy column) one can correct it. I will try to do it later. |
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