Consultation in Corona Period-271 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-271





Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"हाल के दिनों में मेरे पास ऐसे बहुत से मामले आ रहे हैं जिनमें प्रभावित व्यक्ति की उम्र 40 के आसपास है और उसे किसी भी तरह की हृदय की बीमारी नहीं है। फिर एक दिन अचानक ही रात को जब वह सोता है तो उसे हार्ट अटैक आता है और सुबह तक उसकी मृत्यु हो जाती है। लोग सोचते हैं कि यह आधुनिक रहन-सहन के कारण हो रहा है या खान-पान के कारण। रोजमर्रा के जीवन में बढ़ते तनाव को भी इसके लिए जिम्मेदार मान लिया जाता है। पर हम चिकित्सक इस बात को जानते हैं कि ऐसा Brugada syndrome के कारण होता है और यही अचानक मृत्यु का कारण भी बनता है। 

पर नाम जान लेने से क्या होता है। यह बीमारी तो लाइलाज है क्योंकि यह एक अनुवांशिक बीमारी है जिसकी कोई चिकित्सा नहीं है। पहले पता चल जाए या बाद में। अचानक से मौत तो होनी ही है। वैसे तो यह 26 से 56 साल के बीच के किसी भी व्यक्ति को हो सकती है पर औसतन 40 के आसपास के लोग इस तरह से बेमौत मारे देखे जा चुके हैं। यदि आप अफ्रीका में चले जाएं तो ऐसी मौतों के पीछे काले जादू को जिम्मेदार मान लिया जाता है क्योंकि प्रभावित व्यक्ति को तो किसी भी तरह की हृदय की समस्या रहती ही नहीं है या कहें कि उसे इस बारे में पता नहीं चलता है।

मैं पिछले कुछ दिनों से बहुत चिंतित हूं क्योंकि मेरा भतीजा अभी इससे प्रभावित है और मुझे मालूम है कि जल्दी ही वह हमारे बीच से चला जाएगा। वह बहुत सुंदर है और अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ भी। उसे लगातार व्यायाम करने की आदत है और एक दिन भी यदि वह व्यायाम न करें तो उसे ठीक नहीं लगता है। उसे हमेशा फिट रहना अच्छा लगता है। बतौर चिकित्सक मैं जानता हूं कि इस बीमारी में व्यायाम करना बहुत खतरनाक हो सकता है और समय से पहले ही उसकी मृत्यु हो सकती है। 

इस बीमारी के बारे में मैंने इंटरनेट पर उपलब्ध सभी जानकारियों को अपने पास एकत्र करके रखा है। मैं लगातार उन विशेषज्ञों से भी मिलता रहता हूं जिन्होंने इस दुर्लभ बीमारी पर काम किया है और अपने विचार व्यक्त किए हैं। मैंने ऐसी लाइब्रेरी भी छान मारी है जिनके साहित्य इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है। पहले यह सब मैं अपनी रुचि के कारण करता था पर जब से मेरा प्यारा भतीजा इसका शिकार हुआ है तब से मेरी खोज बहुत तेज हो गई है। जब मैंने इस बीमारी पर आपका एक ब्लॉग पढ़ा और फिर इंटरनेट आर्काइव पर कई किताबें देखी तो मुझे लगा कि एक बार मुझे आपसे मिलना चाहिए। यह तो अच्छा हुआ है कि आप उसी मामले को देखने के लिए आमंत्रित किए गए जिस मामले को मैं देख रहा था और इस तरह हमारी मुलाकात हो गई।" मेरी हाल की ही उत्तर भारत की यात्रा के दौरान दक्षिण पूर्वी एशिया के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ मुझसे ये बातें कह रहे थे। हृदय रोग से प्रभावित एक गंभीर व्यक्ति को देखने के लिए मुझे उत्तर भारत आमंत्रित किया गया था। इन हृदय विशेषज्ञ को भी इसी कार्य के लिए आमंत्रित किया गया था। मामले पर पूरी चर्चा होने के बाद जब शाम को हम अपने होटल में बैठे तो उनके भतीजे की समस्या पर चर्चा होने लगी।

 मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि जब आप किसी भी बीमारी को लाइलाज मान लेते हैं तो आप उसके लिए प्रयास करने बंद कर देते हैं। मेरा मानना है कि दुनिया में कोई भी बीमारी लाइलाज नहीं है। कम से कम ऐसा हमें समझना चाहिए ताकि हम आखिरी समय तक उस व्यक्ति को बचाने की कोशिश करते रहे जिसे सभी ने निराश कर दिया है। मैंने खुलासा किया कि मैंने ऐसे सैकड़ों मामले देखे हैं जिसमें Brugada syndrome जैसे लक्षण आते हैं पर फिर भी लोगों की जान बच जाती है जब यह पता चलता है कि इसका कारण अनुवांशिक न होकर किसी तरह का ड्रग इंटरेक्शन है। बड़े आश्चर्य की बात है कि इस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया कि ड्रग इंटरेक्शन के कारण भी इस तरह के लक्षण आ सकते हैं जिसे कि गलतफहमीवश Brugada syndrome माना जा सकता है।

 मेरी इन बातों को सुनकर उनकी आंखों में चमक आ गई और उन्होंने बिना किसी देरी के अपने भतीजे की सारी रिपोर्ट मेरे सामने रख दी। मैंने उनसे कहा कि आपके भतीजे का एक छोटा सा परीक्षण करना होगा। परीक्षण करने के लिए आवश्यक किट मेरे पास अभी उपलब्ध नहीं है। आप चाहे तो आप इसे रायपुर से इकट्ठा करवा सकते हैं। आप वापस जाकर इस किट की सहायता से अपने भतीजे का परीक्षण कीजिए।  फिर मुझे बताइए कि इस परीक्षण के कैसे परिणाम आ रहे हैं। मैंने उनसे यह भी कहा कि आप मुझे अपने भतीजे की खानपान की सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी दीजिए और यह भी बताएं कि वह किन किन दवाओं का प्रयोग कर रहा है ताकि मैं विस्तार से इस मामले का अध्ययन कर सकूं। मैंने अपनी बात जारी रखी और उनसे कहा कि आपका यह कहना बिल्कुल सही है कि इस बीमारी में व्यायाम करना उचित नहीं है इसीलिए मेरी तरफ से भी आप अपने भतीजे को कहिए कि वह व्यायाम से बचें और हस्त मुद्राओं का प्रयोग करें जो कि कई मायनों में व्यायाम से भी अधिक लाभकारी है और उन लोगों के लिए वरदान है जो कि व्यायाम नहीं कर सकते हैं अपने स्वास्थगत के कारणों के चलते। विशेषज्ञ महोदय ने अपने सहायक को मेरे साथ रायपुर भेजा जिन्होंने मुझसे किट प्राप्त किया और फिर जब विशेषज्ञ वापस अपने देश पहुंचे तो उन्होंने वह छोटा सा परीक्षण किया जिसमें कि 10 तरह की जड़ी बूटियों को चखकर बताना था कि उन जड़ी बूटियों का कैसा स्वाद आ रहा है। यह बड़ा ही सरल सा परीक्षण है पर इस से बहुत पुख्ता जानकारियां मिल जाती हैं। इस बीच विशेषज्ञ ने खानपान की सामग्रियों और भतीजे द्वारा दी जा रही सभी दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी भेज दी। कुछ दिनों बाद एक और मामले को देखने के लिए जब वे मध्य भारत आए तो उन्होंने संबंधित अस्पताल से कह कर मुझे भी आमंत्रित कर लिया ताकि मामले पर भी चर्चा हो जाए और भतीजे के स्वास्थ पर भी।

 मैंने उन्हें बताया कि आपका भतीजा दो तरह की पद्धतियों की दवाओं का प्रयोग कर रहा है। एक तो वह भारतीय फॉर्मूलेशन का प्रयोग कर रहा है जिसमें कि पंचम घटक के रूप में अर्जुन का प्रयोग किया गया है और साथ में वह एक जापानी फॉर्मूलेशन का प्रयोग कर रहा है। इसमें एक ऐसी वनस्पति उपस्थित है जिसमें प्राकृतिक रूप से corglycon पाया जाता है। अर्जुन और उस वनस्पति की विपरीत प्रतिक्रिया के कारण आपके भतीजे को Brugada syndrome जैसे लक्षण आ रहे हैं। मुझे लगता है कि यदि वह इनमें से एक दवा का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें तो उसकी समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है। उन्हें एकाएक इस पर विश्वास नहीं हुआ पर उन्होंने एक पल की भी देरी न करते हुए तुरंत अपने भतीजे को फोन लगाया और उस से अनुरोध किया कि वह एक फॉर्मूलेशन का प्रयोग बंद कर दें। मैंने उनसे पहले ही कह दिया था कि आप जापानी फॉर्मूलेशन को बंद करने को प्राथमिकता दें। विशेषज्ञ महोदय ने मुझे आश्वस्त किया कि वे लगातार भतीजे के स्वास्थ निगरानी रखेंगे और समय-समय पर जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे। 

उन्होंने एक छोटा सा वीडियो मुझे देते हुए कहा कि भतीजे को भेजी गई दवाओं का उन्होंने भी परीक्षण कर लिया है और उन्हें जिस तरह के स्वाद आए उसी पर ही आधारित यह वीडियो है। मैंने वीडियो देखते ही उनसे कहा कि आपको फेफड़े की किसी तरह की समस्या है और यह समस्या आपको बचपन से है। मेरी बात सुनकर भी बड़े प्रभावित हुए और उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा की भूरी भूरी प्रशंसा की।

 फिर कई दिनों तक भी लगातार फोन करते रहे और बताते रहे कि अब Brugada syndrome जैसे लक्षण आने कम हो गए हैं और उनका भतीजा बेहतर महसूस कर रहा है। वे बेहद उत्साहित है और उन्होंने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि उनके भतीजे की जान इस घातक बीमारी के होने के बाद भी बच सकती है।

 जब उनका भतीजा पूरी तरह से इस तथाकथित बीमारी के चंगुल से बाहर आ गया तब उन्होंने कहा कि उनके पास दो और मामले हैं जो कि भारत के हैं। 

मैंने उनसे कहा कि यह तो अच्छी बात है कि वे मेरे ही देश में है। आप उनसे कहें कि वे रायपुर में आकर मुझसे मिले ताकि मैं विस्तार से उनकी सहायता से परीक्षण कर सकूं और समस्या के मूल को जान सकूं। उनके भतीजे की तरह ही इन दोनों व्यक्तियों द्वारा प्रयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों और दवाओं के बारे में मैंने उनसे जानकारी प्राप्त कर ली। इन दोनों प्रभावित व्यक्तियों को कई तरह के रोग थे और उसके लिए वे नाना प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे थे। इनमें से कुछ दवाएं तो चिकित्सकों के मार्गदर्शन में चल रही थी शेष दवाओं के लिए वे इंटरनेट पर निर्भर थे और अपने मन से ही इन दवाओं को ले रहे थे। उन्हें बहुत उग्र रूप से Brugada syndrome के लक्षण आ रहे थे। उन दोनों की उम्र 40 के आसपास थी और अपने लक्षणों से भी बहुत ज्यादा परेशान थे। एक तरह से मानसिक अवसाद में थे। 

परीक्षण करने के बाद एक व्यक्ति के बारे में मैंने विशेषज्ञ महोदय को बताया कि यह यूनानी दवा का प्रयोग कर रहे हैं जिसमें कि एक विशेष वनस्पति का प्रयोग किया गया है। इस वनस्पति की मैदा नामक वनस्पति की छाल से विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इस वनस्पति को एक आयुर्वेद के फॉर्मूलेशन में डाला गया है जिसका प्रयोग वह व्यक्ति दूसरी बीमारी के लिए कर रहा है। यदि वह इन दोनों दवाओं में से एक दवा को कम कर दे या बंद कर दे तो वह इस तथाकथित घातक बीमारी से मुक्त हो सकता है।

 दूसरे व्यक्ति का जब मैंने परीक्षण किया तो मुझे कुछ विशेष तरह के लक्षण नहीं दिखे। मैंने उसके खान-पान के तरीके में दोष पाया और उसे अच्छे से जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित किया। उसे कई प्रकार की हस्त मुद्राओं के बारे में बताया और साथ ही पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग होने वाले मेडिसिनल राइस के बारे में भी। 

विशेषज्ञ महोदय मेरे इस अनुमोदन से प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि उनके पास एक फिलीपींस का भी मामला है और यदि मैं समय दूं तो वे भारत आकर इस पर चर्चा करना चाहते हैं। यह फिलीपींस के एक बिजनेस टाइकून का मामला है इसलिए वे इसे गंभीरता से ले रहे हैं और उनके साथ ही भारत आने की योजना बना रहे हैं। हमारी मुलाकात मुंबई के एक होटल में हुई जहां। मैंने उन का छोटा सा परीक्षण किया और उस आधार पर उन्हें सलाह दी कि वे उस चीनी दवा का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें जो कि वे अपनी कामोत्तेजना को बढ़ाने के लिए शराब के साथ प्रयोग कर रहे हैं। मैंने उन्हें कहा कि इस चीनी दवा में किसी भी तरह का कोई दोष नहीं है पर उसे किसी भी हालत में शराब के साथ नहीं लेना है। शराब के साथ इस चीनी दवा का प्रयोग करने से बहुत विपरीत प्रतिक्रियाएं होने लग जाती हैं और कई तरह के लक्षण आते हैं जिनमें कि Brugada syndrome जैसे लक्षण भी शामिल हैं। मैंने उन्हें यह भी बताया कि आप इस दवा के साथ में अपनी पेट की समस्या के लिए फिलीपींस के दलदली इलाकों में होने वाले एक विशेष प्रकार के सेज का उपयोग कर रहे हैं। इस सेज की आपकी चीनी दवा से विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है जिससे कि आपके लक्षण उग्र हो रहे हैं। यह तो आश्चर्य की बात है कि आप अभी तक कैसे जीवित है क्योंकि इन दोनों वनस्पतियों का इस तरह प्रयोग करने से तुरंत ही हृदय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और मृत्यु गले लगा लेती है। मैंने संभावना जताई कि वे एक विशेष तरह की हर्बल चाय का उपयोग कर रहे हैं अपनी डायबिटीज के लिए। संभवत: उस हर्बल चाय में उपस्थित जड़ी-बूटी ने इन इन दोनों वनस्पतियों के दुष्प्रभाव को कुछ समय के लिए अप्रभावी कर दिया होगा इसलिए वे अभी तक जीवित हैं।

 विशेषज्ञ महोदय मेरी सारी बातों को ध्यान से सुनते रहे और उन्होंने फिर इस आधार पर फिलीपींस के उन बिजनेस टाइकून को सलाह दी जो कि उन्होंने तुरंत ही मान ली।

 विशेषक महोदय ने कहा कि वे इन मामलों के बारे में जल्दी ही विस्तार से एक शोध पत्र लिखेंगे जिसमें वे भारतीय पारंपरिक चिकित्सा और मेरे बारे में भी जानकारी देंगे। इस माध्यम से वे दुनिया को बताना चाहेंगे कि Brugada syndrome का नाम सुनते ही हाथ खड़े कर देने से कोई लाभ नहीं है बल्कि ऐसे लक्षण दूसरे कारणों से भी आ सकते हैं और उन कारणों को यदि दूर कर दिया जाए तो इस समस्या से हमेशा के लिए निपटा जा सकता है।

 मैंने उन्हें शुभकामनाएं। दी इस बीच उन्होंने बताया कि जिन दो व्यक्तियों को उन्होंने मेरे पास भेजा था अब उनके लक्षण पूरी तरह से गायब होने लगे हैं और वे सामान्य जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। उन विशेषज्ञ महोदय ने मुझसे अनुरोध किया कि मैं उनके द्वारा भविष्य में भेजे जाने वाले मामलों को भी इसी तरह से देखूँ और उनका समाधान करने की कोशिश करूं।

 मैंने उन्हें अपनी ओर से आश्वस्त किया। 


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