लीवर कैंसर में डायबीटीज की दवा से परेशानी, दूर करें तुरंत नुस्खे की खामी
लीवर कैंसर में डायबीटीज की दवा से परेशानी, दूर करें तुरंत नुस्खे की खामी
पंकज अवधिया
जब आपकी शुगर ४५० के पार हो गयी तब आपने वैद्य द्वारा दी गयी छाल का ल्रयोग
किता . आपका कहना है कि जब शुगर बढीहुयी
होती है तो यह छाल आपको मीठी लगती है और जब आपकी शुगर कम हो जाती है तो यही छाल कडवी लगने
लगती है. आप इस छाल का प्रयोग लम्बे समय से कर रहे हैं.
आपको लीवर का कैंसर है और आपको हाल में ही इसका पता लगा है . आपका आधुनिक उपचार पुणे में चल रहा है पर आप इससे संतुष्ट नहीं हैं.
जो वैद्य आपको मधुमेह की दवा दे रहे थे उन्होंने ही कैसर की दवा देनी शुरू की
है. उनकी दवा से जव आपको स्वास्थ समस्याएं होने लगी तब आपने इंटरनेट पर कैंसर की
पारम्परिक चिकित्सा के बारे में जानकारी एकत्र करनी शुरू की . आपको मेरे बारे में
पता चला तब आपने समय लेकर मुझसे मिलने का निश्चय किया . मैं आपकी मदद करूंगा.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपके वैद्य जो छाल आपको दे रहे हैं उसे स्थानीय
भाषा में कोटक की छाल कहते हैं. इसके प्रयोग
से शुगर तो कम होती है पर लम्बे समय तक इसे लेने से लीवर को स्थायी रूप से हानि
होती है.
जब इसे लम्बे समय तक दिया जाता है तो पारम्परिक चिकित्सक इसके साथ चिरईबूटी नामक बूटी का प्रयोग करते हैं जिससे लीवर
को कम से कम हानि हो. लीवर के कैंसर में यह छाल कैंसर को फैलने में मदद करती है.
कैंसर के लिए आपको जंगली बेर पर आधारित नुस्खा दिया जा रहा है. इस नुस्खे की
आपकी मधुमेह की दवा से नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है. आपकी सारी समस्याओं की जड़
यही है.
मै आपको यही सलाह देना चाहता हूँ कि आप दक्ष पारम्परिक चिकित्सक से चिकित्सा
करवाएं. यफी इस दिशा में आप मेरी मदद चाहते हैं तो मैं इसके लिए तैयार हूँ.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं .
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000
घंटों से अधिक अवधि की फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं.
सर्वाधिकार सुरक्षित
E-mail: pankajoudhia@gmail.com
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