कैसर में जीवित रहना जब लगे असम्भव, तब भी बूटियाँ कर सकती हैं यह संभव पंकज अवधिया

कैसर में जीवित रहना जब लगे असम्भव, तब भी बूटियाँ कर सकती हैं यह संभव
पंकज अवधिया   



आपकी माँ को गाल ब्लेडर का कैंसर है और उनकी १८ बार कीमोथेरेपी हो चुकी है.

 डाक्टरों ने कह दिया है कि अब उनके पास गिनती के दिन हैं. उनकी हालत देखकर अब कोई भी उनकी चिकित्सा करने को तैयार नही है. मैंने उनकी सारी रिपोर्ट देखी और फिर आपसे घर पर कुछ परीक्षण करने को कहा.

इन परीक्षणों का उद्देश्य उनकी जीवनी शक्ति का आंकलन करना था पर परीणाम अच्छे नही आये. आप हिम्मत नही हारना चाहते हैं और बड़ी आशा से आप मेरे पास आये हैं ताकि मैं आपकी माँ की जान बचा सकूं.

मै आपकी मदद करने को तैयार हूँ पर इसमें बहुत सारी अडचने हैं.

मैंने आपकी माँ के लिए जो फार्मूला चुना है उसमे ८० प्रकार के कंद हैं जो कि घने जंगलों में मिलते हैं .

यदि मैं अपने आठ सहयोगियों के साथ इन जंगलों की यात्रा करूं तो मुझे कम से कम सात दिनों का समय लगेगा. इतने लम्बे समय तक विना दवा के आपकी माँ का बच पाना मुश्किल है और कोई दूसरा विकल्प दिखाई नही पड़ता है .

अभी मेरे पास सात प्रकार के लेप हैं जिन्हें आप अपनी माताजी के पैरों में लगा सकते हैं. मुझे पूरा विशवास है कि ये लेप दवा के आते तक आपकी माँ को जीवित रख सकेंगे .

मैं आपको यह बता देना चाहता हूँ कि मैंने बहुत से मामलों में इन लेपों को असफल होते देखा है. निर्णय आपको लेना है .   

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं .
-=-=-
कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

-=-=- 

Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)