पूरी दुनिया मे इससे पहले इतने विस्तार से मधुमेह के उपचार के बारे मे क्यो नही लिखा गया?
प्रश्न :पूरी दुनिया मे इससे पहले इतने विस्तार से मधुमेह के उपचार के बारे मे क्यो नही लिखा गया?
यह तो मै नही बता पाऊंगा कि पहले क्यो नही विस्तार से सब कुछ लिखा गया पर हम भारतीय सौभाग्यशाली है कि यह ज्ञान अभी भी पारम्परिक चिकित्सको के पास है। मैने अब तक 65,000 पन्ने लिखे है जिसमे 55,000 तो तालिकाए ही है। यह लेखन आठ महिनो का प्रयास है। पूरी रपट तीन लाख पन्नो की होने की सम्भावना है। मुझसे जितना बन पडा मैने जानकारियाँ एकत्र की और इसमे सम्मलित की पर अभी भी जो ज्ञान इस रपट के रूप मे सामने आ रहा है वह सागर मे एक बूंद के समान है। एक पूरी पीढी को आगे आकर इसका दस्तावेजीकरण करना होगा तभी बात बन पायेगी। हमारे बीच से पारम्परिक चिकित्सक लगातार कम होते जा रहे है। उनकी नयी पीढी इसमे रूचि नही दिखा रही है। यह शुभ संकेत नही है। ऐसा न हो कि जब तक हम इनके ज्ञान के महत्व को समझे तब तक देर हो चुकी हो। देश के विभिन्न हिस्सो मे वानस्पतिक सर्वेक्षणो के दौरान मै हजारो पारम्परिक चिकित्सको से मिला। उनमे से कई अब दुनिया मे नही है। यह ठीक है कि उनका ज्ञान मेरे आलेखो मे है पर वे आधुनिक समाज से मान्यता पाये बिना ही चले गये। यदि हमारा समाज उनका महत्व समझता तो आज नयी पीढी इस ज्ञान से रोगियो का भला कर रही होती।
प्रश्न: यह रपट कहाँ उपलब्ध है?
यह रपट इकोपोर्ट नामक डेटाबेस पर है। प्रतिदिन आँन-लाइन इसमे नयी जानकारियाँ जोडी जा रही है।
यह तो मै नही बता पाऊंगा कि पहले क्यो नही विस्तार से सब कुछ लिखा गया पर हम भारतीय सौभाग्यशाली है कि यह ज्ञान अभी भी पारम्परिक चिकित्सको के पास है। मैने अब तक 65,000 पन्ने लिखे है जिसमे 55,000 तो तालिकाए ही है। यह लेखन आठ महिनो का प्रयास है। पूरी रपट तीन लाख पन्नो की होने की सम्भावना है। मुझसे जितना बन पडा मैने जानकारियाँ एकत्र की और इसमे सम्मलित की पर अभी भी जो ज्ञान इस रपट के रूप मे सामने आ रहा है वह सागर मे एक बूंद के समान है। एक पूरी पीढी को आगे आकर इसका दस्तावेजीकरण करना होगा तभी बात बन पायेगी। हमारे बीच से पारम्परिक चिकित्सक लगातार कम होते जा रहे है। उनकी नयी पीढी इसमे रूचि नही दिखा रही है। यह शुभ संकेत नही है। ऐसा न हो कि जब तक हम इनके ज्ञान के महत्व को समझे तब तक देर हो चुकी हो। देश के विभिन्न हिस्सो मे वानस्पतिक सर्वेक्षणो के दौरान मै हजारो पारम्परिक चिकित्सको से मिला। उनमे से कई अब दुनिया मे नही है। यह ठीक है कि उनका ज्ञान मेरे आलेखो मे है पर वे आधुनिक समाज से मान्यता पाये बिना ही चले गये। यदि हमारा समाज उनका महत्व समझता तो आज नयी पीढी इस ज्ञान से रोगियो का भला कर रही होती।
प्रश्न: यह रपट कहाँ उपलब्ध है?
यह रपट इकोपोर्ट नामक डेटाबेस पर है। प्रतिदिन आँन-लाइन इसमे नयी जानकारियाँ जोडी जा रही है।
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