क्या देशी वनस्पतियाँ कुछ राहत पहुंचा सकती है रेडियेशन से घिरे जापानियों को?

क्या देशी वनस्पतियाँ कुछ राहत पहुंचा सकती है रेडियेशन से घिरे जापानियों को?
-पंकज अवधिया

"जापान में इन दिनों गेहूं से बनी बीयर की मांग तेजी से बढ़ रही है और कुछ भागों में इसकी कमी हो गयी है| किसी अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक ने विकिरण से बचने के लिए इसके प्रयोग का सुझाव दिया है| जापानी वैज्ञानिक यहाँ तक कि कुछ जापानी उच्चाधिकारी भी इसके पक्ष में खड़े दिखते हैं| उनका दावा है कि गेहूं के सत से तैयार बीयर में विकिरण के कारण होने वाली गुणसूत्रीय विकृति को कम करने की ३४ प्रतिशत तक क्षमता है| बीयर में अल्कोहल होना ही चाहिए क्योकि बिना अल्कोहल की बीयर गेहूं के सत को ठीक से पचने नहीं देती है| " मेरे जापानी मित्र शिंजी टकारा अपने १७ मार्च के संदेश में लिखते हैं| वे सुरक्षित हैं पर विकिरण यानि रेडियेशन के खतरे से चिंतित हैं|

जापान में फ़ैल रहे विकिरण की खबरों के बीच मुझे बार-बार बकव्हीट का नाम याद आ रहा है| बरसों पहले किये गए लम्बे अनुसन्धान में इसकी पहचान ऐसी वनस्पति के रूप में की गयी थी जिस पर आश्रित रहने वाले परमाणु युद्ध के समय विकिरण से पूरी तरह बचे रहेंगे| बकव्हीट को हिन्दी भाषा में कुटु भी कहा जाता है| इसकी बकायदा खेती की जाती है और फिर स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते हैं| आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि छत्तीसगढ़ में बहुत ही सीमित क्षेत्र में इसकी खेती हो रही है| मैनपाट के तिब्बती शरणार्थी तिब्बत से इसे लेकर आये और फिर पीढी दर पीढी इसे उगा रहे हैं| यह उनकी परम्परा का हिस्सा है| कुछ वर्षों पहले उनके बीच किये गए वानस्पतिक सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई कि ज्यादातर तिब्बती बकव्हीट के इस चमत्कारी गुण और इससे सम्बन्धित अनुसन्धान के बारे में नहीं जानते हैं| छत्तीसगढ़ की मूल फसल नहीं होने के कारण राज्य के पारम्परिक चिकित्सकों के पास बकव्हीट के औषधीय गुणों की जानकारी नहीं है| कुछ समय पहले में कृषि विश्वविद्यालय ने इसकी आधुनिक खेती पर शोध किये थे| आधुनिक खेती शब्द थोड़ा खटकता है क्योकि आधुनिक खेती महज अधिक उत्पादन तक सीमित रहती है और गुणवत्ता को परे रख दिया जाता है| पर उम्मीद की जा सकती है कि राज्य के बकव्हीट में विकीरण से बचाने की क्षमता अभी भी बची होगी|

जापानी मित्र शिंजी गेहूं की बीयर के बारे में बताते हुए साफ़ लिखते हैं कि विकिरण के सम्पर्क में आने के पहले से ही बीयर का प्रयोग करना है| बाद में इसका असर नही होता है| बकव्हीट के साथ ऐसा नहीं है| यही कारण है कि १६ मार्च को जापानी दूतावास को जब मैंने इस बारे में लिखा तो कुछ समय के बाद ही धन्यवाद सहित उनका सकारात्मक जवाब आया|

इस जापानी संकट के बाद दुनिया भर के वनस्पति विशेषज्ञ विज्ञान के सन्दर्भ ग्रन्थों को खंगाल रहे हैं| ऐसी वनस्पतियों की सूची तैयार की जा रही है जिसका विकिरण के ज्यादा फ़ैलने पर जापानी प्रयोग कर सके| यह विडम्बना ही है कि दुनिया भर में मौत यानि परमाणु ऊर्जा के इतने सारे फरिश्ते खड़े कर दिए गए पर कभी भी यह नहीं सोचा गया कि गडबडी होने पर कैसे विकिरण से बचा जा सकेगा| शांतिकाल में वनस्पति वैज्ञानिकों के पास बहुत सारा समय था जब ऐसी वनस्पतियों को परख लिया जाता पर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया|

विकिरण यानि रेडियेशन की सहायता से कैंसर की चिकित्सा लम्बे समय से की जा रही है| वैज्ञानिक यह तो भली-भाँती जानते हैं कि इसका शरीर पर क्या दुष्प्रभाव होता है पर इसे कैसे दूर किया जाए इस बारे में जानकारी का अभाव है| रेडियो एक्टिव आयोडीन जो कि जापान के परमाणु संयंत्रो से निकलने वाले विकिरण में शामिल है, को शरीर अवशोषित न करे इसलिए आयोडीन की टेबलेट का आंतरिक प्रयोग खूब प्रचारित किया जा रहा है| जापान में आयोडीन टेबलेट की कमी हो गयी है| इंटरनेट पर मुंहमांगे दाम वसूले जा रहे हैं| चीन में भारत की तरह ही नामक में आयोडीन मिला होता है| जापानी सुपरमार्केट से चीनी नमक पूरी तरह से बिक चुका है| जापानी मित्र कहते हैं कि केवल रेडियो एक्टिव आयोडीन का खतरा नहीं है| यदि हालात नहीं सम्भले तो रेडियो एक्टिव यूरेनियम का दंश हम झेल रहे होंगे और सदियों तक इस मिट्टी में जन्म लेने वाले झेलते रहेंगे|

जापान में बसे बहुत से अमेरिकी जिन लोगों के प्रति आशा भरी निगाह से देख रहे हैं उनमे छत्तीसगढ़ के पारम्परिक चिकित्सक भी हैं जिन के बारे में पूरी दुनिया पढ़ती रहती है| अब राज्य के पारम्परिक चिकित्सकों को तो कभी विकिरण जनित समस्या का सामना नहीं करना पड़ा फिर वे कैसे मदद कर सकते हैं? जापान के ओसाका से एक अमेरिकी वैज्ञानिक मित्र विकिरण से होने वाले दुष्प्रभाव की सचित्र रपट भेजते हुए कहते है कि पारम्परिक चिकित्सक उन रोगियों की चिकित्सा तो कर ही रहे हैं जिन्होंने रेडियेशन थेरेपी से कैंसर की चिकित्सा कराने की कोशिश की है| इन असफल रोगियों को तकलीफों से जिन वनस्पतियों के माध्यम से पारम्परिक चिकित्सक राहत पहुंचाते हैं, वे ही जापानियों के लिए मददगार सिद्ध हो सकती हैं|

मुझे उनकी थ्योरी में दम लगता है पर समय बहुत कम है| जापान से बड़े छत्तीसगढ़ में दूरस्थ अंचल में अपनी सेवायें दे रहे पारम्परिक चिकित्सकों तक पहुंचना और फिर उनसे चर्चा कर जानकारी एकत्र करना एक लम्बी प्रक्रिया है| यदि उनके ज्ञान का कोई डेटाबेस सरकार के पास होता तो हजारों पारम्परिक चिकित्सकों में से इस विषय के विशेषज्ञों को खोजा जा सकता था|

विकिरण के प्रभाव से जापान की वनस्पतियाँ सेवन योग्य नही रह गयी है| सुपरमार्केट में सब्जियों और मांस से भरे खंड इसी डर से वैसे के वैसे पड़े हैं| जापान को दुनिया भर से मदद की उम्मीद है| राहत सामग्री तो पहुंच ही रही है पर विकिरण से राहत का कोई रास्ता नहीं दिखता है| ऐसे में जैव-विविधता पूर्ण पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान से समृद्ध भारत इस दिशा में नयी रोशनी दिखा सकता है-ऐसा मेरा मानना है|

(लेखक जैव-विविधता विशेषज्ञ हैं और वनस्पतियों से सम्बन्धित पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहे हैं|)

All Rights Reserved
यह लेख रायपुर से प्रकाशित होने वाले दैनिक छत्तीसगढ़ में १८ मार्च, २०११ को प्रकाशित हो चुका है| इसकी प्रति आप इस कड़ी पर देख सकते हैं|

https://docs.google.com/viewer?a=v&pid=explorer&chrome=true&srcid=0Bz1P2nmFzDFLMGZhMzIzMDgtNTM3OS00ZGEyLTljYTMtMjVjNmIyODMzMGFh&hl=en



Updated Information and Links on March 09, 2012

New Links



Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at http://www.pankajoudhia.com




Abelmoschus esculentus (L.) MOENCH in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (71 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of West Bengal; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Abelmoschus ficulneus (L.) WIGHT & ARN. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (28 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Jharkhand; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Abelmoschus moschatus MEDIK. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (60 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Madhya Pradesh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Abrus precatorius L. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (25 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Abutilon hirtum (LAM.) SWEET in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (59 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Madhya Pradesh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia chundra (ROXB. EX ROTTLER) WILLD. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (26 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia catechu (L.F.) WILLD. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (45 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Madhya Pradesh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia farnesiana (L.) WILLD. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (27 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia leucophloea (ROXB.) WILLD. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (25 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Jharkhand; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia nilotica (L.) WILLD. EX DEL. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (30 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia pinnata (L.) WILLD. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (38 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Madhya Pradesh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia polyacantha WILLD. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (8 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),
Acacia suma (ROXB.) KURZ. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Baheda (Bahera) ka Prayog (5 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए बहेड़ा का प्रयोग),

Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)