रोगियों के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम करता है यह तेलिया कंद

रोगियों के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम करता है यह तेलिया कंद

पंकज अवधिया

ऐसा लगता है जैसे आस पास कोई जंगली जानवर मर गया है। बहुत तेज बदबू आ रही है। लगता है उसकी लाश सड़ रही है ।

मेरी इन बातों को सुनकर पारंपरिक चिकित्सक जोर-जोर से हँसने लगे। यह किसी लाश वाश की बदबू नहीं है बाबूजी बल्कि यह उस कंद की बदबू है जिसकी तलाश में हम सब दो दिन की कठिन यात्रा करके इस दूरदराज के जंगल में पहुंचे हैं।

मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही। पारंपरिक चिकित्सक जैसे-जैसे कंद की खुदाई  करते रहे वैसे वैसे तेज बदबू बढ़ती गई और अंत में यह  असहनीय हो गई।

हमारे लिए तो यही तेलियाकंद है बाबूजी- पारंपरिक चिकित्सकों ने कहा।

हम देश के पूर्वी घाट के घने जंगलों में खड़े थे और मेरे सामने एक नए तरह का तेलिया कंद था। पारंपरिक चिकित्सकों ने इसकी पूजा की फिर अपने पूर्वजों को धन्यवाद दिया ।

उन्होंने बताया कि अब एक साल तक उन्हें इस कंद को फिर से खोदने के लिए नहीं आना होगा। सालभर इसे अल्प मात्रा में अलग अलग पारंपरिक नुस्खों में मिलाकर वे प्रयोग करते रहेंगे।

ये पारंपरिक चिकित्सक कैंसर की जटिल चिकित्सा में महारत रखते थे. कंद का एक हिस्सा उन्होंने मुझे भी दिया मेरे कैंसर के रोगियों के लिए।

वापस लौटकर मैंने उनके नुस्खों का प्रयोग अपने रोगियों पर किया तो बहुत अच्छे परिणाम आए।

यह तेलिया कंद देशभर के अलग-अलग हिस्सों से मेरे द्वारा इससे पहले एकत्र किए गए कन्दों से एकदम अलग था।

पारंपरिक चिकित्सक जब इस तेलिया कंद का उपयोग कैंसर की चिकित्सा में करते थे तब रोगियों को पूरी तरह से दूध लेने की मनाही होती थी। वे मांसाहार का प्रयोग भी कम से कम करने की सलाह देते थे।

मैंने उनसे 3000 प्रकार के नुस्खों के बारे में जानकारी एकत्र की जिनमें यह तेलिया कंद अहम घटक के रूप में डाला जाता था। पारंपरिक चिकित्सक इन सभी नुस्खों का प्रयोग नहीं करते थे पर उन्हें अपने पूर्वजों से यह जानकारी मिली थी।

यह जानकारी मेरे लिए अमूल्य थी। मैंने अपने जीवन में इन सभी नुस्खों का सफल प्रयोग देखा है।

कैंसर की ऐसी अवस्था में जब कोई भी दवा असर नहीं करती है उस समय इस प्रकार का तेलिया कंद रामबाण की तरह काम करता है।

अधिक मात्रा में इसका प्रयोग करने से रोगी के आंखों की दृष्टि मंद पड़ जाती है ।साथ ही उसे खूनी दस्त होने लग जाते हैं इसलिए पारंपरिक चिकित्सक बड़ी सावधानी से इसका प्रयोग करते हैं।

उनका कहना है कि ये नुकसान स्थाई नहीं होते हैं फिर भी इस तेलिया कंद का प्रयोग हमेशा संभलकर करना चाहिए।

बहुत से पारंपरिक चिकित्सकों ने यह बताया कि यदि सही तरीके से इस तेलिया कंद का शोधन किया जाए तो अधिक मात्रा में देने से भी रोगियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है पर इस शोधन की प्रक्रिया बहुत जटिल है।

इसमें 300 प्रकार की जड़ी बूटियों की सहायता से इस कंद का शोधन करना होता है। यह 6 से 7 महीने तक चलने वाली प्रक्रिया है।

इस शोधन प्रक्रिया के दौरान पारंपरिक चिकित्सकों को काफी संयम से रहना पड़ता है यही कारण है कि नई पीढ़ी के पारंपरिक चिकित्सक इस तरह के शोधन में रुचि नहीं लेते हैं और अक्सर दवा की मात्रा में चूक होने से रोगी संकट में पड़ जाते हैं।

इस लेख के माध्यम से इस विशेष प्रकार के तेलिया कंद के बारे में जानकारी दुनिया के सामने पहली बार आ रही है। मैं आगे भी अपने लेखों के माध्यम से इस विषय में विस्तार से लिखता रहूँगा।

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