पारम्परिक चिकित्सको की नुमाइश का खेल अब बन्द हो
पारम्परिक चिकित्सको की नुमाइश का खेल अब बन्द हो - पंकज अवधिया पिछले दिनो मेरे एक मित्र ने मुझे फोन कर कहा कि एक छोटा सा आयोजन है जिसमे उनके कुछ फिल्मकार मित्र दिल्ली से आ रहे है, तुम कुछ पारम्परिक चिकित्सको को भेज देना। क्यो? ये फिल्मकार उनसे बात करेंगे। इस तरह के फोन मेरे लिये नयी बात नही है। हर कोई चाहता है कि मैने जिन पारम्परिक चिकित्सको बे बीच काम किया है उनसे मिलकर कुछ जाना जाये। यह उद्देश्य पवित्र हो तो इसमे कोई बुराई नही है। पर इस दिशा मे मेरा अनुभव अच्छा नही रहा है। मैने अपने मित्र से पूछा कि पारम्परिक चिकित्सको को इससे क्या मिलेगा? उसका उत्तर था कि दो समय का खाना खिला देंगे और आने-जाने का खर्च दे देंगे। मैने पूछा, और उसका क्या जो फिल्मकार इन फिल्मो को बेचकर कमायेंगे। फिर इन फिल्मो से नये लोग आयेंगे। वे भी यही करेंगे। कुछ ऐसे लोग भी आयेंगे जो दबावपूर्वक उनसे ‘ राज ’ उगलवाना चाहेंगे। हो सकता है कि वे ऐसे प्रयास फिल्म को रोचक और सनसनीखेज बनाने के लिये करे। इससे पारम्परिक चिकित्सको को तो कुछ हासिल नही होने वाला। यह भी जरुरी नही है कि फिल्